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25 दिसम्बर, अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर विशेष

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, महान राष्ट्रभक्त, कवि व ओजस्वी वक्ता भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी



राजनीति को काजल की कोठरी मानने वाले भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक महान राष्ट्रभक्त व महान संस्कृति निष्ठ थे, जिन्होंने पूरा जीवन अविवाहित रहकर देश की सेवा की। वे बाहरी आडम्बरों से दूर थे तथा जो कहते थे, वो करके दिखाते थे। 25 दिसम्बर, 1924 को ग्वालियर (मध्यप्रदेश) में जन्मे अटल जी में बचपन में ही कविता सुनाने, नेताओं का भाषण सुनने तथा कवि सम्मेलनों में भाग लेने का शोक था। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे, जो एक ओजस्वी प्रखर वक्ता तथा एक महान कवि व पत्रकार थे, जिन्होंने राजनैतिक ऊँचाईयों को छुआ तथा अपने विदेश मंत्री व प्रधानमंत्री काल में भारत देश की अन्तर्राष्ट्रीय पहचान बनाई। वे राजनीति के भीष्म पितामह के रूप में जाने गये तथा हिन्दी भाषा को अपने भाषणों में व्यवहारिक रूप में अपनाकर विदेशों में हिन्दू राष्ट्र की पहचान बनाई। 


वे जनसंघ के प्रणेता तथा 1968 से 1973 तक अध्यक्ष एवं 1980 से 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहे। अटल बिहारी वाजपेयी अपने भाषणों व कविताओं से न केवल अपनी पार्टी बल्कि विरोधियों को भी सुनने के लिए मजबूर कर देते थे। वे कहते थे कि मनुष्य को जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए तथा विकट परिस्थितियों में हिम्मत रखनी चाहिए। हमें दुश्मन नहीं, बल्कि प्रतिद्वंद्वी बनाने चाहिए। यह तभी सम्भव होगा, जब हम आलोचनायें सुनेंगे तथा दूसरों को सम्मान देंगे।


वे उदारवादी व्यक्तित्व के धनी एवं नेकदिल इन्सान थे एवं हिन्दी प्रेमी थे, जिन्होंने अपने विदेश मंत्री काल में संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी भाषण पढक़र अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर हिन्दी भाषा व हिन्दी राष्ट्र की अगुवाई की। वे एक कुशल प्रशासक थे तथा अत्यन्त संवेदनशील कवि थे, जिन्होंने देश के विदेश मंत्री तथा 3 बार प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया। अपने प्रधानमंत्री काल में अनेकों देशों की यात्रायें कर दूसरे मुल्कों से मैत्री स्थापित की। उन्होंने जाति व सम्प्रदाय से ऊपर उठकर सदैव देश हित व देश विकास की बात की। उनके प्रधानमंत्री काल में भारत परमाणु शक्ति राष्ट्र बना तथा कारगिल युद्ध में पाकिस्तान देश को पराजित किया। उनके प्रधानमंत्री काल में राष्ट्रीय राजमार्ग हवाई अड्डे का विकास, नई टेलीकॉम नीति, ग्रामीण रोजगार एवं बीमा योजनाएं लागू की गई तथा पुराना कावेरी जल विवाद सुलझाया गया एवं पड़ोसी देश से वार्ताओं द्वारा सम्बन्ध सुधार एवं विश्व शन्ति के प्रयास किये।


वे एक महान पत्रकार थे, जिन्होने राष्ट्र धर्म, पांचजन्य व वीर अर्जुन जैसी पत्रिकाओं का सम्पादन कर देशवासियों में राष्ट्रीय भवना जागृत की। अटल जी एक अच्छे लेखक थे तथा अपने जीवनकाल में अनेको महत्वपूर्ण पुस्तकें मेरी इक्यावन कविताऐं, 21 कविताएं पुस्तक, फोर डिकेडस इन पॉलिर्यामेंट, शक्ति से शान्ति व देवन्यमन पलायनम, क्या खोया - क्या पाया जैसी प्रेरणादायक पुस्तकें लिखी। उनकी कविता क्या खोया क्या पाया जग में, मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, आज भी आम आदमी में जोश भर देती है।


अटल जी कहा करते थे कि राजनीति काजल की कोठरी के समान है, जो इसमें जाता है, वह काला होकर ही आता है। देश एक मन्दिर के समान है। हम पूजारी हैं, हमें राष्ट्रदेव की पूजा के लिए खुद को समर्पित कर देना चाहिए तथा उन्होंने यह खुद करके दिखाया। वे कहते थे सरकारें आयेगी व जायेगी, यह देश रहना चाहिए। इस देश का लोकतंत्र रहना चाहिए। हम अपने मित्र बदल सकते हैं, परन्तु पड़ोसी नहीं, अत: पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार व सम्बन्ध रखें तथा उन्होंने पड़ोसी देश पाकिस्तान से सम्बन्ध बनाने का भरसक प्रयास किया। अटल जी कहते थे कि मेरे पास ना दादा की दौलत है, ना बाप की, मेरे पास माँ का आशीर्वाद है। वे कई दशकों तक भारतीय राजनीति में छाये रहे। 10 बार लोकसभा सदस्य व 2 बार राज्यसभा सदस्य रहे तथा एक ईमानदार व बेदाग छवि के राजनैतिक कहलाये। वे अपने भाषणों में कहते थे कि जीवन में बाधायें आती है। हमें कदम मिलाकर चलना होगा तथा देश को मुश्किलों से लडऩे की हिम्मत भी पैदा करनी होगी। 


वे एकजुटता को सुरक्षा कवच मानते थे तथा वे कहा करते थे, मैं हमेशा वायदे लेकर नहीं इरादे लेकर आया हूँ। अटल जी कहते थे, हमेशा अपने अतीत से सीखें तथा भविष्य में गलतियां न हो, इसका ध्यान रखें। जीवन में ऐसा काम करो, ऐसा जीवन जियो, जो दूसरे के लिए प्रेरणादायक बन जाये। अटल जी कहते थे देश की खुशहाली के लिए हमें साधनों का सही उपयोग, स्त्री शिक्षा को बढ़ाना, आम आदमी के लिए शिक्षा तथा गरीब का उद्वार, वंचितों के उत्थान, महिलाओं व बच्चों का कल्याण तथा देशभक्तों का सम्मान करना चाहिए। उन्हें राष्ट्रसेवा हेतु भारत रत्न, पदम विभूषण, गोविन्द वल्लभ पंथ जैसे अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भारत सरकार एवं देश की अनेकों संस्थाओं व संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है। उनका लम्बी बीमारी के उपरान्त 16 अगस्त, 2018 को निधन हुआ। अटल जी अटल हैं, अटल रहेंगे। भारतीय संस्कृति, सभ्यता, राजधर्म, राजनीति, विदेश नीति तथा आमजन की पीड़ा की समझ रखने वाले महान राष्ट्रभक्त, ओजस्वी वक्ता तथा हिंदुत्व, देशहित विकास की बात करने वाले उस कर्मयोगी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन करते हैं।


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