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बिहार समाचार : छपरा - जहरीली शराब से मौत से जुड़ी खबर , अस्पताल में पहुंचने वाले पहले मरीज कृणाल सिंह की मौत की पूरी कहानी

बिहार में छपरा में जहरीली शराब के मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।



बिहार : छपरा  - 12 दिसंबर की शाम 5 बजे कृणाल सिंह की उम्र 38 काम से लौटते समय शराब पी घर पहुंचते ही बेचैनी होने लगी पेट में जलन भी पत्नी को जैसे ही पता चला कि शराब पी है उल्टी कराने के लिए नमक का घोल दिया पर उल्टी नहीं हुई घर में रखी कुछ दवाएं भी दी पर कोई फायदा नहीं हुआ 13 दिसंबर का पूरा दिन और 14 दिसंबर की शाम तक घेरलू इलाज करते रहे कृणाल जब बेहोश होने लगा तो पत्नी की चिंता बढ़ गई शाम 5 बजे वह मशरख सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंची डॉक्टरों ने कहा ऑक्सीजन सेचुरेशन कम हो गया है बीपी बहुत ज्यादा है उसे सलाइन चढ़ाया गया आधे घंटे बाद ही कृणाल की सांसें उखड़ गईं।

12 दिसंबर की रात मरने वालों ने  शराब पी थी 48 घंटे बाद पहली मौत होती है जिन 70 की मौत हुई यदि उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाते तो ज्यादातर जिंदा होते शुरुआत के सबसे जरूरी 12 घंटे घरवालों ने बर्बाद कर दिए कारण पुलिस का डर 2 हजार से 5 हजार रुपए जुर्माना देना पड़ेगा FIR भी दर्ज हो सकती है इसी जुर्माने और FIR के डर से किसी का पिता तो किसी की पत्नी या बेटा घरेलू इलाज करते रहे नमक का घोल पिलाकर उल्टी कराई तो किसी को साबुन का घोल दिया गया तबीयत और बिगड़ी तो गांव के आसपास झोलाछाप डॉक्टर के पास पहुंचे ऐसा करते करते 24 घंटे बीत गए आंखों से दिखना बंद होने लगा और सांसें फूलने लगीं तो घबराए जुर्माना और सजा की परवाह किए बगैर मरीज को लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचे

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मशरख पहुंचे तब तक 24 से 48 घंटे बीत चुके थे अधिकतर की हालत गंभीर थी डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और कहा कि छपरा सदर अस्पताल ले जाओ छपरा यहां से 35 किमी दूर है। मरीजों की सांसें उखड़ने लगीं इस 35 किमी के सफर में ज्यादातर मौत हो गई

शराबबंदी कानून जिसके डर से इतनी मौत हुई

बिहार सरकार ने इस साल मार्च में शराबबंदी कानून में संशोधन किया शराब पीने वालों के लिए थोड़ी राहत के प्रावधान किए पहली बार शराब पीने वालों पर 2000 से 5000 रुपए तक का जुर्माना लगाया दूसरी बार शराब पीते पकड़े जाने पर जेल भेजा जाएगा इसमें एक साल तक की सजा हो सकती है शराब के मामलों में पुलिस FIR करती है

अफसरों का भी कहना है कि ऐसे मरीजों से जानकारी ली जाती है कि शराब का सेवन कहां किया और इसका नेटवर्क कैसे चलता है पुलिस की जांच भी शराब पीने वालों से ही शुरू होती है इस कारण लोग डरते हैं।

जिनकी मौत हुई है, उनमें ज्यादातर दिहाड़ी मजदूरी करने वाले हैं इनके लिए 2 या 5 हजार रुपए का जुर्माना दे पाना आसान नहीं रहा होगा रहा होता तो शायद ब्रांडेड शराब पीते। शराब कांड के दौरान पुलिस किस तरह अमानवीय बर्ताव करती है, यह भी लोग देख चुके हैं, इसलिए भी इनमें खौफ था।

 पूर्व DGP बिहार अभयानंद कहते हैं 

शराबबंदी कानून का लोगों में डर है पुलिसिया कार्रवाई के डर से ही लोग अस्पताल नहीं गए अगर पुलिस आगे आती और कानूनी कार्रवाई के साथ इलाज कराती तो इतनी मौत नहीं होती।

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