छात्र-छात्राओं में विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ाने के लिए विज्ञान मेले का आयोजन - विज्ञान मेले में विद्यार्थियों ने विज्ञान आधारित मॉडल बनाकर दिखाई प्रतिभा - महान वैज्ञानिक नोबल पुरस्कार विजेता सीवी रमन के ‘रमन प्रभाव’ आविष्कार की जानकारी दी गई
श्रीगंगानगर: छात्र-छात्राओं में विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आज विज्ञान मेले का आयोजन किया गया। श्री आत्मवल्लभ जैन पब्लिक स्कूल में हुए विज्ञान मेले में नन्हे-मुन्ने बच्चों ने अपने अथक परिश्रम से विज्ञान के हर क्षेत्र से सम्बन्धित विभिन्न मॉडल्स बनाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। विद्यालय कॉर्डिनेटर मुकेश सेठी ने बताया कि छात्र-छात्राओं ने सोलर सिस्टम, फेसेस ऑफ़ मून, वॉटर प्यूरीफायर, डिफरेंट काइंड ऑफ एनिमल्स, साइल इरोजन, वेंडिंग मशीन, एटीएम मशीन, स्पेस स्टेशन, मिसाइल, रॉकेट, रोबोट, सेटेलाइट, लाइफ साइकिल ऑफ बटरफ्लाई, इंटरनल ऑर्गन्स, स्ट्रक्चर ऑफ एटम, एनर्जी जनरेटर सिस्टम, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, लेयर्स आफ एटमॉस्फेयर, टाइप्स ऑफ़ क्लाउड, टाइप्स ऑफ कार्बन साइकिल, रूम हीटर, स्ट्रक्चर ऑफ डैम, सेटेलाइट, रॉप वे, पेरायोडिक टेबल, नेशनल सिंबल्स ऑफ इंडिया आदि विज्ञान आधारित अलग-अलग मॉडल्स बनाए, जिसकी सभी ने भरपूर सराहना की।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला कलक्टर सौरभ स्वामी तथा विशिष्ट अतिथि वुमेन एंपावरमेंट डिपार्टमेंट डायरेक्टर विजय कुमार एवं असिस्टेंट कमिश्नर (जीएसटी) नीतू सैन थे। जिला कलक्टर सौरभ स्वामी ने बच्चों से कहा कि आज के विज्ञान मेले को देखकर उन्हें अपने स्कूल का समय याद आ गया, जब वह भी इसी तरह के आयोजनों की तैयारी करते थे। उन्होंने बताया कि आज बच्चों के मॉडल पहले से कहीं ज्यादा एडवांस है। साथ ही बच्चों को अपने मॉडल के बारे में बहुत अच्छी जानकारी है। बच्चों ने विज्ञान और प्रकृति के हर एक विषय के बारे में मॉडल बनाए हैं। उन्होंने बच्चों को सुझाव दिया कि वह एक-दूसरे का मॉडल अवश्य देखें और उनकी जानकारी व सहयोग लें, क्योंकि ज्ञान को बांटने से ज्ञान बढ़ता है। बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि अपनी रूचि इसी प्रकार बनाए रखें तो देश का भविष्य निश्चय ही उज्जवल होगा। उन्होंने नन्हे-मुन्ने बच्चों की प्रतिभा की मुक्तकंठ से प्रशंसा की तथा बच्चों को प्रमाण-पत्र वितरित कर उनका हौंसला बढ़ाया।
वक्ताओं ने महान वैज्ञानिक नोबल पुरस्कार विजेता सीवी रमन के ‘रमन प्रभाव’ अविष्कार के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी तथा विज्ञान के क्षेत्र में प्रो. सीवी रमन के योगदान के बारे में बताते हुए कहा कि प्रोफेसर सीवी रमन ने तबला और मृदंग जैसे भारतीय ड्रमों की ध्वनि की सुरीली प्रकृति को चेक किया और ऐसा करने वाले वो पहले व्यक्ति थे। वर्ष 1930 में पहली बार किसी भारतीय को विज्ञान के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान, भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला। वर्ष 1943 में उन्होंने बैंगलोर के पास रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की। भौतिकी को रमन इफेक्ट दिया, जिसका भौतिकी में बहुत खास योगदान है। विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सीवी रमन को वर्ष 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया तथा वर्ष 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। सीवी रमन की खोज की याद में भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
कार्यक्रम के अंत में सफल आयोजन के लिए प्रिंसिपल श्रीमती ममता अरोड़ा ने समस्त अतिथियों, विद्यार्थियों, विद्यालय स्टाफ एवं अभिभावकों का आभार व्यक्त किया तथा कहा कि आज विज्ञान का युग है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से बालक की प्रतिभा को मंच मिलता है तथा उसका हौसला बढ़ता है। यही बालक आगे चलकर महान वैज्ञानिक बनेंगे तथा देश का नाम पूरे विश्व में रोशन करेंगे। इस अवसर पर विद्यालय स्टाफ, छात्र-छात्रायें एवं गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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