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प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख अपना दुखड़ा बताते विपक्षी नेता , सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर एकजुट हुआ विपक्षी खेमा , लिखा लोकतंत्र से तानाशाही में बदल गई सरकार



दिल्ली के  पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर  परेशान हुए बाकी विपक्ष के नेता व अन्य पार्टी प्रमुख अब प्रधानमंत्री को  चिट्टियां लिखकर अपनी बात रखने लगे हैंइनमें 9 विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है। इन नेताओं में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं।  इन नेताओंद्वारा लिखी चिट्ठी में लिखा है कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी यह दिखाती है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश से तानाशाही शासन में तब्दील हो गया है।

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दरअसल, शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में  पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया  को अदालत में पेश किया गया था। यहां उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन कोर्ट ने 10 मार्च तक के लिए जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया और CBI को उनकी दो दिन की रिमांड और दे दी।

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9 बड़े नेता जिन्होंने लिखी प्रधानमंत्री को चिट्ठी


जब से दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है उस दिन से विपक्ष व अन्य राजनीतिक दलों की नींद उड़ी हुई है अब उन पार्टियों के प्रमुख प्रधानमंत्री को चिट्ठियां लिखने लगे हैं मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर चिट्ठी लिखने वालों में सबसे पहले अति हैं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी,  दूसरे नंबर पर दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल, BRS चीफ के चंद्रशेखर राव, पंजाब के CM भगवंत मान, राजद नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस लीडर फारूक अब्दुल्ला, राकांपा चीफ शरद पवार, शिवसेना ठाकरे ग्रुप के चीफ उद्धव ठाकरे, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादवजी इस काम में पीछे नहीं रहे ।

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प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी की 5 बड़ी बातें पढ़िए ..

आदरणीय प्रधानमंत्रीजी, हमें भरोसा है कि आपको आज भी लगता है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का मनमाना इस्तेमाल यह दिखाता है कि हम एक लोकतंत्र से तानाशाही में तब्दील हो गए हैं। लंबी तलाश के बाद 26 फरवरी 2023 को मनीष सिसोदिया को CBI ने गिरफ्तार कर लिया। कथित तौर पर गड़बड़ी के आरोप में ये गिरफ्तारी की गई और वह भी बिना कोई सबूत दिखाए।

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सिसोदियाजी के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है। यह राजनीतिक षडयंत्र के तहत की गई कार्रवाई है। इस गिरफ्तारी ने पूरे देश की आवाम को गुस्से से भर दिया है। दुनियाभर में मनीष सिसोदिया दिल्ली स्कूल एजुकेशन में बदलाव के लिए पहचाने जाते हैं। उनकी गिरफ्तारी को दुनियाभर में बदले की भावना से की गई राजनीतिक कार्रवाई के उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा है। इससे वह बात भी पुष्ट हो रही है, जिसके बारे में पूरी दुनिया आशंकित है कि भाजपा के तानाशाही शासन के दौरान भारत के लोकतांत्रिक मूल्य खतरे में हैं।


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आपके शासन में 2014 से अब तक जितने राजनेताओं की गिरफ्तारी हुई, छापे मारे गए या पूछताछ हुई, उनमें ज्यादातर विपक्षी नेता हैं। मजेदार बात यह है कि उन विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की जांच धीमी पड़ जाती है, जो बाद में भाजपा जॉइन कर लेते हैं। उदाहरण के तौर पर पूर्व कांग्रेस नेता और असम के मौजूदा सीएम हेमंत बिस्व सरमा। सीबीआई और ईडी ने 2014-2015 में शारदा चिटफंड घोटाले में उनके खिलाफ जांच शुरू की। हालांकि जबसे उन्होंने भाजपा जॉइन की, तब से केस आगे नहीं बढ़ा है।

इसी तरह नारदा स्टिंग ऑपरेशन केस में तृणमूल नेता शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय ED और CBI के रडार पर थे। विधानसभा चुनाव से पहले इन लोगों ने भाजपा जॉइन कर ली और तब से केस में कोई खास तरक्की नहीं हुई है। महाराष्ट्र के नारायण राणे केस को ले लीजिए। ऐसे कई उदाहरण हैं।





पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर विपक्ष में अन्य पार्टी के नेताओं ने जो चिट्ठी लिखी उसमें विपक्ष पर हो रहे मुकदमों को लेकर दुखड़ा रोया गया है
















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