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विश्व रंगमंच दिवस पर राष्ट्रीय कला मंदिर की यादगार प्रस्तुति , बगिया बांछाराम की' में प्रकृति प्रेम और जीने की इच्छा शक्ति का बखूबी चित्रण,कलाकारों के अभिनय ने छोड़ी गहरी छाप

बगिया बांछाराम की' में  प्रकृति प्रेम और जीने की इच्छा शक्ति का बखूबी चित्रण,कलाकारों के अभिनय ने छोड़ी गहरी छाप विश्व रंगमंच दिवस पर राष्ट्रीय कला मंदिर की यादगार प्रस्तुति




श्रीगंगानगर 27 मार्च। राष्ट्रीय कला मंदिर द्वारा विश्व रंगमंच दिवस के उपलक्ष में मंचित नृत्य प्रस्तुति `बगिया बांछाराम की' में प्रकृति प्रेम और जीने की इच्छा शक्ति का बखूबी चित्रण किया गया।

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दूसरी ओर सामंतवादी दुष्चक्र और धरती को व्यापार का साधन बनाने वाली मानसिकता व उपभोक्तावादी संस्कृति को परिलक्षित करते हुए तीखे कटाक्ष किए गए। नाटक के कथानक ने दशकों को बहुत ही प्रभावित तथा अभिभूत किया। हास्य व्यंग के माध्यम से लेखक और निर्देशक ने भावनाओं के ताने-बाने को बेहद शानदार तरीके से बुना।  


कलाकारों ने अभिनय की गहरी छाप छोड़ी। स्थानीय बाबा रामदेव मंदिर के सामने रोहित उद्योग परिसर में स्थित राष्ट्रीय कला मंदिर केऑडिटोरियम-चौधरी रामजस सहारन सेवा सदन में रविवार की शाम नाट्य प्रेमियों के नाम रही। नाटक की कहानी 95 वर्षीय एक वृद्ध बांछाराम  की बगिया को हड़पने के एक जमींदार द्वारा रचे जाने वाले षड्यंत्रों की है। जमीदार तरह-तरह के हथकंडे बगिया को हथियाने के लिए अपनाता है। इस चक्कर में वह खुद कंगाल हो जाता है और मर जाता है। 

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अंत में बांछाराम यह कहता है कि- लोग मुझे सेंचुरी बुड्ढा ऐसे ही नहीं कहते। नाटक में जहां हास्य का प्रभाव रहा, वहीं भावुकता और पर्यावरण का संदेश भी दिया। बांछाराम की भूमिका में मोहनलाल दादरवाल और जमीदार की भूमिका में गौरव बलाना ने दमदार अभिनय किया। सोनू नायक, राकेश नायक, विक्रम मोंगा, आशीष अग्रवाल,श्यामसुंदर शर्मा, अमित शर्मा, पूजाक्षी जग्गा, ममता आहूजा, ऋतिक मेघवाल, ललित सिरोहा और दीपक सारस्वत के अभिनय को भी सराहना मिली।नाटक के लेखक मनोज मित्र हैं। 


अनुवाद सांत्वना निगम ने किया है।मुख्य अतिथि श्रीमती पुष्पा देवी बाघला चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष राजकुमार बाघला और विशिष्ट अतिथि मयूर स्कूल के चेयरमैन हेमंत गुप्ता रहे। मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि ने अपने उद्बोधन में कहा कि सोशल मीडिया, वेब सीरीज औरटीवी सीरियल्स के दौर में नाट्य विधा  को जीवित रखना बहुत ही प्रशंसनीय है।

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यह विधा आज भी लोगों को आकर्षित और प्रभावित करती है।नाटकों का मंचन  निरंतर होते रहना चाहिए। अतिथियों के साथ संस्था के अध्यक्ष वीरेंद्र वैद और सचिव शिव जालान  ने सभी निर्देशक, कलाकारों  तथा पर्दे के पीछे सहयोग करने वाले सभी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। सचिव ने सभी का आभार भी व्यक्त भी किया। मंच संचालन सुनील शर्मा ने किया।





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