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ग़ज़वा-ए-हिंद मामले में NIA ने 7 जगहों पर मारे छापे: हर गली में इस्लाम का झंडा या झूठा प्रचार,गजवा-ए-हिंद क्या है जानकारों से समझिए


23 मार्च 2023 को एनआईए ने गजवा-ए-हिंद मामलों से जुड़े 3 राज्यों में 7 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. इनमें से 3 महाराष्ट्र में, 3 गुजरात में और 1 मध्य प्रदेश में है। 8 महीने पहले 22 जुलाई 2022 को बिहार में दर्ज मामले में NIA ने यह कार्रवाई की है




ग़ज़वा का अर्थ है - इस्लाम फैलाने के लिए किया गया युद्ध। इस युद्ध में शामिल इस्लामी लड़ाकों को 'गाजी' कहा जाता है। इस तरह मोटे तौर पर ग़ज़वा-ए-हिंद का अर्थ युद्ध के माध्यम से भारत में इस्लामी राज्य की स्थापना है।अब विद्वानों में मतभेद यह है कि गजवा-ए-हिंद का विचार हदीस का हिस्सा है या नहीं? क्या वाकई भारत में इस तरह के युद्ध की आशंका है या कोई साजिश रची जा रही है? गजवा-ए-हिंद सिर्फ चुनाव के समय ही खबरों में क्यों रहता है


इन सवालों के जवाब जानने से पहले आइए जानते हैं कि हदीस क्या है। दरअसल, कुरान के बाद हदीस इस्लाम धर्म, शिक्षा और रीति-रिवाजों का सबसे बड़ा स्रोत है। हदीस पैगंबर मुहम्मद की बातों का एक संग्रह है जो उन्होंने सहाबा (पैगंबर के साथियों) से उनके किसी भी प्रश्न के जवाब में कही थी।




हमने 6 विद्वानों से ग़ज़वा-ए-हिंद से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने का प्रयास किया है


सवाल 1: -आखिर क्या है गजवा-ए-हिंद

उत्तर जैसा कि हमने ऊपर कहा कि ग़ज़वा का अर्थ है- इस्लाम की स्थापना के लिए युद्ध। ऐसा माना जाता है कि इस्लाम की स्थापना का अर्थ केवल इस्लामी सरकार की स्थापना ही नहीं है, बल्कि इसमें सभी लोगों का मुसलमान होना भी आवश्यक है। अब जानिए इस सवाल पर क्या कहते हैं 6 विद्वान और विशेषज्ञ


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ग़ज़वा उसे कहते हैं जिसमें स्वयं मुहम्मद साहब शारीरिक रूप से शामिल होते हैं।

इस पूरे मामले में  इस्लामिक विद्वानों की अलग-अलग राय है इनमें ब्रिटिश नसिया फाउंडेशन इंटरनेशनल के सह संस्थापक और लेखक यूनुस अलगोहर कहते हैं कि गजवा-ए-हिंद को हदीस से जोड़कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है गजवा-ए-हिंद में हिंदुओं, सिखों या इस्लाम कबूल नहीं करने वालों के कत्ल की कोई बात नहीं की गई है।गजवा उसे कहते हैं जिसमें मोहम्मद साहब खुद जिस्मानी तौर पर शामिल हों। इसका मतलब ये हुआ कि न तो गजवा हुआ है और न ये है जो अब लोग कह रहे हैं, लेकिन अगर इस तरह की कोई चीज होती है और उसमें मोहम्मद साहब शामिल नहीं होते तो ये गजवा नहीं बल्कि कत्लेआम होगा।हदीस में जब भारत को लेकर गजवा-ए-हिंद की बात कही गई थी तो उस समय तो पाकिस्तान था ही नहीं। ऐसे में पाकिस्तान अगर भारत पर हमला करता है तो यह तो भारत का भारत पर हमला होना माना जाएगा, क्योंकि पाकिस्तान तो भारत का अंग रहा है।वहीं, जो आतंकी गजवा-ए-हिंद करना चाहते हैं वे खुद ये मानते हैं कि मोहम्मद साहब इस दुनिया में नहीं हैं। ऐसे में वे कैसे गजवा-ए-हिंद करेंगे? वे लोगों को हदीस के नाम पर सिर्फ गुमराह कर रहे हैं।


गली-गली इस्लाम का परचम है इसका मकसद

पॉलिटिकल कमेंटेटर पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ कहते हैं कि गजवा-ए-हिंद हदीस का हिस्सा है। गली-गली में इस्लाम का परचम इसका मुख्य मकसद है।कुछ लोगों का मानना है कि जब तक भारत में इस्लाम का परचम फहराया नहीं जाता, इस्लाम संपूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकता। हमारा पड़ोसी मुल्क बताता है कि नबी साहब कहकर गए हैं कि यह तो होकर रहेगा।इसके साथ ही गाजी का मतलब होता है जो लड़ते-लड़ते नॉन बिलीवर, यानी उसके धर्म को न मानने वाले को मार देता है उसे गाजी का दर्जा मिलता है।गजवा-ए-हिंद का मतलब साफ है कि जब तक पूरी दुनिया में इस्लाम का परचम नहीं फहरेगा, तब तक इस्लाम अधूरा है। इस्लाम का मानना है कि तकरीबन पूरी दुनिया में इस्लाम का परचम फहरा दिया गया है, लेकिन 700-800 सालों से भारत में इस्लाम का परचम नहीं फहराया जा सका है।जब तक भारत की गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले में इस्लामिक कानून नाफिस नहीं हो जाता, इस्लाम के मानने वालों की सरकार नहीं बन जाती, तब तक गजवा-ए-हिंद का सपना पूरा नहीं होगा।


हिन्दुस्तान में तो हजार साल पहले ही गजवा-ए-हिंद हो चुका है

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अरशद मदनी कहते हैं कि हिन्दुस्तान में तो पहले ही गजवा-ए-हिंद हो चुका है। बाबर के जमाने में हो चुका है। बाबर ने यहां आकर डेरा डाल दिया था। हिंदुस्तान के अंदर मुसलमानों की जंग ही गजवा-ए-हिंद है। यह जंग तो पहले ही हो चुकी है। 800 साल तक जो हिंदुस्तान पर हुकूमत की गई वह यही तो थी।ये तो पहले ही हो चुका है। अब कौन आएगा गजवा-ए-हिंद करने। जानबूझकर वैमनस्य पैदा करने के लिए ये बातें उछाली जाती हैं।क्या ये मुमकिन है कि पाकिस्तान आकर हिन्दुस्तान पर हुकूमत करेगा? क्या बांग्लादेश आकर भारत पर कब्जा कर लेगा। कौन सा ऐसा मुल्क है जो हिन्दुस्तान पर कब्जा कर लेगा। क्या चीन गजवा-ए-हिंद करेगा। यह कुछ नहीं है। सिर्फ इसके जरिए मुसलमानों के खिलाफ दीवार खड़ी करने की कोशिश हो रही है।गजवा-ए-हिंद का जिक्र किसी भी ढंग की किताब में नहीं, यह केवल भ्रांति है


केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान बताते हैं कि देश में गजवा-ए-हिंद के नाम से एक झूठा कैंपेन चलाया जा रहा है। इसका मकसद लोगों के दिमाग में यह बात भरना है कि मुसलमान भारत के टुकड़े कर देंगे। इसे कौन स्वीकार कर लेगा कोई भी स्वीकार नहीं करेगा गजवा-ए-हिंद की बात करने वालों को यह भी नहीं पता कि गजवा उन लड़ाइयों को कहा जाता है जिसमें मोहम्मद पैगंबर खुद मौजूद थे।लगातार पिछले दो तीन साल से गजवा-ए-हिंद की बात हो रही है। शुरुआत पाकिस्तान से हुई है, लेकिन हमारे यहां भी कुछ लोग कह रहे हैं कि यह हदीस में है। मैं कहता हूं कि किसी भी अथॉरिटेटिव बुक में इस बारे में कुछ नहीं है। यह भ्रांति फैलाई जा रही है।


धर्म के नाम पर मौलवियों का एक पूरा नेटवर्क खड़ा किया गया

अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे और हडसन इंस्टीट्यूट के ‘इस्लाम और लोकतंत्र’ प्रोजेक्ट के मुखिया रहे हुसैन हक्कानी अपने एक लेख में लिखते हैं कि हदीसों का सहारा लेकर मुस्लिम नौजवानों को जिहादी आतंकवाद के लिए उकसाने की प्रवृत्ति अफगान-सोवियत युद्ध के दौरान शुरू हुई अफगान-सोवियत युद्ध के खत्म होने के बाद तमाम जिहादी गुटों ने मध्य और दक्षिण एशिया में अपनी गतिविधियां शुरू कीं। 1989-90 के इस दौर में कश्मीर में आतंकवाद ने अपने पांव पसारे और ‘गजवा-ए-हिंद’ नाम से इस दुष्प्रचार की शुरुआत हुई कि कश्मीर में जिहाद दीन का आदेश है और इसमें शहीद होने वाले को जन्नत नवाजी जाएगी।


धर्म के नाम पर मौलवियों का एक पूरा नेटवर्क खड़ा किया गया, जिसने जिहाद के शहीद को जन्नत में 72 हूरें मिलने जैसी बातें भी जोड़ीं। लश्कर-ए-तैयबा तो उस समय गजवा-ए-हिंद की व्याख्या कश्मीर से भारत की आजादी के तौर पर करता था और इसे दीन का हुकुम बताता था पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर जैद हामिद जैसे पत्रकार पाकिस्तानी मीडिया में गजवा-ए-हिंद के तौर पर मशहूर रवायतों की आधुनिक व्याख्या हिंदू भारत और मुस्लिम पाकिस्तान के बीच युद्ध के तौर पर बताते थे।वे कहते थे कि पाकिस्तान बना ही दुनिया में इस्लामिक मुखालफत कायम करने के लिए है। मसूद अजहर जैसे आतंकी भी ऐसी रवायतों की मनगढ़ंत व्याख्या करते हैं।




उमैया खिलाफत के शासकों ने पैगंबर के बाद अपने हित के लिए इसे लिखवाया


देवबंद से दीन की शिक्षा लेने वाले और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय से इस्लामिक इतिहास में PhD करने वाले मौलाना वारिस मजहरी कहते हैं कि दुनिया में ‘गल्बा-ए-इस्लाम’ के लिए कुरान-हदीस के उद्धरण देना गलत है, क्योंकि कुरान में ‘गल्बा-ए- इस्लाम’ से मतलब किसी तरह के सियासी निजाम को स्थापित करना नहीं है, बल्कि इस्लाम के पैगाम से दुनिया को मुतासिर करना है।


गजवा-ए-हिंद का जिक्र हदीसों के छह प्रामाणिक संग्रहों में केवल एक में मिलता है। साथ ही गजवा-ए-हिंद से संबंधी रवायतों में केवल एक ही सहाबी अबू हुरैरा का ही जिक्र आता है। ऐसे में लगता है कि यह रवायत सही नहीं है और पैगंबर के काफी बाद उमैया खिलाफत के शासकों द्वारा इस मकसद से लिखवाई गई है कि वे अपनी आक्रमण और विस्तार की नीति को इस्लाम का जामा पहना सकें और उन्हें तर्कसंगत ठहरा सकें।




सवाल 2 :- हदीस में गजवा-ए-हिंद को लेकर क्या कहा गया है? क्या इस पर स्कॉलर्स की राय अलग-अलग है

जवाब:- इस्लामिक इतिहास के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद के बाद तक हदीस का कोई औपचारिक संग्रह नहीं है। तब तक यह मौखिक इतिहास के रूप में बना रहा। इसके बाद इसे लिप्यंतरित किया गया, लेकिन विद्वानों का कहना है कि हदीसों के संकलन के दौरान इसमें कुछ अफवाह भी जोड़ी गई थी।



सवाल 3: - गजवा-ए-हिंद मामले में एनआईए की कार्रवाई की क्या वजह है

जवाब:- द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने 23 मार्च 2023 को गजवा-ए-हिंद से जुड़े कुल 7 ठिकानों पर छापेमारी की है। गजवा-ए-हिंद से जुड़े लोगों और संस्थाओं पर सोशल मीडिया के जरिए देश में युवाओं के बीच कट्टरपंथ को फैलाने का आरोप है।NIA ने बिहार के फुलवारी शरीफ पुलिस स्टेशन में 22 जुलाई 2022 को गजवा-ए-हिंद से जुड़ा मामला दर्ज किया था। इस केस को लेकर NIA ने कहा था कि मरगुब अहमद दानिश नाम का एक कट्टरपंथी शख्स व्हाट्सएप ग्रुप गजवा-ए-हिंद के जरिए कई विदेशी संस्थाओं के संपर्क में था।इतना ही नहीं अपने मकसद को अंजाम देने के लिए उसने एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया था। वह इस ग्रुप में हिंसा के माध्यम से भारत पर विजय की बात कर रहा था। इस केस में 6 जनवरी को NIA ने एक आरोप पत्र भी दायर किया था। अब इस कार्रवाई को उसी मामले से जोड़कर देखा जा रहा है।





सवाल 4 :-  क्या आतंकी संगठन भारत में हमले के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं?

जवाब:-  पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन भी समय-समय पर भारत पर हमला करने के लिए गजवा-ए-हिंद की बात करते हैं। 2019 में पुलवामा हमले से करीब एक साल पहले जैश-ए-मोहम्मद की एक बैठक में भारत के खिलाफ गजवा-ए-हिंद जारी रखने का फैसला किया गया था।वहीं, 2011 में पाकिस्तान के लाहौर में एक रैली में आतंकी हाफिज सईद ने कहा था कि ‘अगर कश्मीरियों को आजादी नहीं दी गई तो हम कश्मीर सहित पूरे भारत पर कब्जा कर लेंगे। हम गजवा-ए-हिंद की शुरुआत करेंगे। गजवा-ए-हिंद यानी भारत पर कब्जे के लिए लड़ाई।’


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