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श्रीगंगानगर : गंगानगर कला मंच की मासिक काव्य गोष्ठी एवं होली स्नेह मिलन में कवियों ने खूब जमाया रंग

गंगानगर कला मंच की मासिक काव्य गोष्ठी एवं होली स्नेह मिलन में कवियों ने खूब जमाया रंग



श्रीगंगानगर :  गंगानगर कला मंच की मासिक काव्य गोष्ठी एवं होली स्नेह मिलन समारोह रविवार को अरोड़वंश पब्लिक स्कूल में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी विजय कुमार गोयल तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. ओ.पी. वैश्य थे एवं अध्यक्षता मंच अध्यक्ष मनीराम सेतिया ने की। सर्वप्रथम अतिथियों ने माँ सरस्वती के समक्ष पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलन किया।

महासचिव ऋतु सिंह ने बताया कि काव्य गोष्ठी में साहित्यकारों ने स्वरचित कविताओं व गजलों द्वारा खूब रंग जमाया। साहित्यकार बनवारीलाल शर्मा ने कविता ‘तराशी थी हमनें भी एक मूर्त पत्थरों में..अरूण उर्मेश ने गजल ‘जख्म ऐसा मिला है जो भरता नहीं.. साहित्यकार बनवारी लाल बन्नी ने कविता ‘होली आई होले-होले.. सतीश कालड़़ा ने हास्य कविता ‘मेरी पतलून फटी मुशायरा में.. डॉ. कृष्ण कुमार आशु ने राजस्थानी कविता ‘रेत में रलता देखूं तुझे.. अंजू सोनी ने कविता ‘जो बीत गई, वो बात गई.., गुलाब रानी ने कविता ‘जब पहला पांव धरा होगा तो बच्चा कितना डरा होगा.. तथा राजेश गहलोत ने कविता ‘आ राजस्थानी भाषा है.. द्वारा अदभुत समां बांधा। 

मदन अरोड़ा ने सफल मंच संचालन करते हुए कविता ‘गाओ रे गीत आई सुहानी होली.. प्रस्तुत की।
इसी कड़ी में निष्ठा गुप्ता ने कविता ‘ना जाने कितने ख्वाब दफन है., ललित चराया ने कविता ‘आओ यारों सब मिलकर होली मनाते हैं..डॉ. ओ.पी. वैश्य ने कविता ‘ये है होली का त्यौहार., ओमाराम ने कविता ‘जय विज्ञान जय विज्ञान.. रणवीर शर्मा ने कविता ‘कोई इसे गजल समझे कोई समझे गीत..महासचिव ऋतु सिंह ने गजल ‘कुछ हमें आजमा कर देखिये..राजकुमार सिंगल ने गीत ‘कोई ना जाने दर्द मेरा., सुरजन सिंह रंगीला ने पंजाबी गीत ‘होली दा त्यौहार वी मनाओ सजनों.. सुरेश कनवाडि़य़ा ने कविता ‘आज नारी नये सोपान तय कर रही.. सोविक वर्मा ने कविता ‘मोहब्बत में हमें जुदाई मिलती है..एवं सतपाल जोईया ने गजल ‘रात-दिन जो तुझे ही सोचते हैं..को सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।

काव्य गोष्ठी को अपने मुकाम तक पहुंचाते हुए सिमरन आहुजा ने कविता ‘क्या सोचा है कभी.. डॉ. श्याम सुन्दर ने कविता ‘जो सच के आईने से बचके निकल रहे हैं..तथा डॉ. संदेश त्यागी ने गजल ‘वो हिमायत मेरी भीड़ में सबसे हंस-हंसकर करता रहा..द्वारा खूब तालियां बटोरी। विजय कुमार गोयल ने सभी साहित्यकारों की काव्य रचनाओं को मुक्तकंठ से सराहते हुए होली की शुभकामनाएं दी। 

मनीराम सेतिया ने कविता ‘चेहरों पर धनुषी रंग लगायें.’ सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया तथा सफल आयोजन के लिए सबका आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने फूलों की होली खेलकर जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर हनुमान प्रसाद, आशु कुक्कड़ सहित गंगानगर कला मंच के पदाधिकारी, सदस्य, साहित्यकार एवं साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।




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