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मुस्लिम लीग के बाद केरल सरकार ने भी CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.


केरल सरकार ने CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर नागरिकता संशोधन कानून 2019 और नागरिकता संशोधन नियम 2024 के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है केरल सरकार ने सीएए पर रोक की मांग करते हुए तर्क दिया है कि सीएए कानून को लागू करने में चार वर्षों की देरी हुई है, इसका मतलब ये है कि इस कानून को लागू करने की तुरंत आवश्यकता नहीं है और इस आधार पर ही सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) पर रोक लगाई जा सकती है। 


IUML और ओवैसी ने भी CAA के खिलाफ याचिका दायर की है

केरल की इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) पार्टी और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी CAA के खिलाफ याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट CAA के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 19 मार्च को सुनवाई करने को तैयार हो गया है याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि सीएए कानून असंवैधानिक है और यह धर्म पर आधारित है। याचिकाओं में ये भी कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून असम समझौते, 1985 का भी उल्लंघन है। 



इस वजह से हो रहा सीएए का विरोध

सीएए के खिलाफ याचिका दायर करने वालों में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया भी शामिल है, जिसने अपनी याचिका में कहा है कि यह पहली बार है कि भारतीय नागरिकता देने के लिए धर्म को आधार बनाया गया है। CAA के खिलाफ 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं. नागरिकता संशोधन अधिनियम को दिसंबर 2019 में संसद द्वारा मंजूरी दी गई थी। 


सरकार ने बीते दिनों नोटिफिकेशन जारी कर सीएए ( CAA ) को पूरे देश में लागू कर दिया है। सीएए में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आने वाले शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। कानून के मुताबिक इन तीन देशों से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई वर्ग के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। हालांकि इस कानून से मुस्लिम वर्ग को बाहर रखा गया है, जिसके चलते इस कानून का विरोध हो रहा है। 


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