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Sri Ganganagar : कृषि विभाग द्वारा ग्राम पंचायत चूनावढ़ में गुलाबी सुण्डी के प्रबन्धन की जानकारी देने हेतु कृषक गोष्ठी आयोजित

कृषि विभाग द्वारा ग्राम पंचायत चूनावढ़ में गुलाबी सुण्डी के प्रबन्धन की जानकारी देने हेतु कृषक गोष्ठी आयोजित







श्रीगंगानगर: कृषि विभाग द्वारा 8 मार्च, शुक्रवार को गांव चूनावढ़ में कृषकों को कपास फसल में गुलाबी सुण्डी प्रबंधन की जानकारी देने हेतु कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया। वरिष्ठ कृषि पर्यवेक्षक अनिल कुमार ने कृषकों को गुलाबी सुण्डी कीट की पहचान तथा नुकसान पहुंचाने के तरीके के बारे में जानकारी दी। उन्होने बताया कि अपने क्षेत्र में गुलाबी सुण्डी का एक विशेष प्रकार का जीवन चक्र पाया जाता है, जिसे शीत निष्क्रियता (डायपॉज) कहा जाता है, जिसमें लार्वा फसल कटने के बाद लकडिय़ों के ढेर या फिर भण्डारित कपास के दो बीजों को आपस में जोडक़र छुप जाता है। दिसम्बर व जनवरी माह में तापमान बहुत कम होने पर लार्वा अनुकूल मौसम न मिलने से शीत निष्क्रियता (डायपॉज) में चले जाते हैं। 




अनुकूल मौसम मिलते ही जीवन चक्र सक्रिय कर प्यूपा अवस्था में चला जाता है। इस प्रकार गुलाबी सुण्डी का संक्रमण पिछली फसल से आगामी फसल में आने की सम्भावना ज्यादा हो जाती है। वर्तमान में गुलाबी सुण्डी का लार्वा नरमा-कपास की भण्डारित लकडिय़ों व भण्डारित कपास में मौजूद है, जिसे आसानी से नष्ट कर आगामी नरमा-कपास की फसल में गुलाबी सुण्डी का प्रकोप काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इस हेतु खेत में रखी लकडिय़ों को झाडक़र  अधपके टिण्डों को इकट्ठा कर नष्ट करते हुए लकडिय़ों को खेत से दूर भण्डारित करें। लकडिय़ों से निकलने वाले गुलाबी सुण्डी के पंतगों को रोकने के लिए अप्रैल माह में लकडिय़ों को पॉलिथीन शीट /मच्छरदानी से ढकें।




भूपेन्द्र खैरवा वरिष्ठ कृषि पर्यवेक्षक ने बताया कि बीटी कपास की बीज दर 450 ग्राम प्रति बीघा रखे एवं कतार से कतार की दूरी 108 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी. रखें। राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किस्मों की बुवाई करें, अज्ञात स्त्रोत द्वारा प्राप्त किसी भी किस्म की बुवाई ना करेे। कम उंचाई व कम अवधि में पकने वाली किस्मों की बुवाई करें। 45-60 दिवस की अवधि में नीम आधारित कीटनाशी का छिडक़ाव करें। मिश्रित कीटनाशियों की बजाय एकल कीटनाशी का विभागीय सिफारिशानुसार छिडक़ाव करें व पायरेथ्राईड आधारित कीटनाशियों का उपयोग फसल की अवधि 120 दिवस की होने के उपरान्त ही उपयोग करने पर कीट के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है। 




सहायक कृषि अधिकारी पूनम ने गुलाबी सुण्डी कीट के आर्थिक हानि स्तर (ई.टी.एल.) व उसे ज्ञात करने के तरीकों व गुलाबी सुण्डी के नियंत्रण हेतु नर पतंगों की जानकारी प्राप्त करने व उन्हें नष्ट करने में फेरोमोन ट्रेप के महत्व के बारे में जानकारी दी। अंकुर सीड्स कम्पनी के प्रतिनिधि अमन कुमार ने कपास किस्मों व उनकी पकाव अवधि के बारे में बताया। इस मौके पर कृषकों को कपास में गुलाबी सुण्डी का प्रबंधन की जानकारी वाला साहित्य उपलब्ध करवाया गया। कृषक गोष्ठी के अन्त में कृषकों को जलपान करवाया गया। सुश्री पल्लवी कृषि पर्यवेक्षक द्वारा कृषक पंजीकरण व अन्य व्यवस्थाओं में सहयोग किया गया।





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