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संयुक्त व्यापार मण्डल ने केन्द्र सरकार से आयकर की नई धारा 43बी(एच) को वापिस लेने की मांग की

अनावश्यक अतार्किक नियमों से व्यापारियों में भारी रोष



श्रीगंगानगर, 11 अप्रैल 2024: संयुक्त व्यापार मण्डल ने आयकर की नई धारा 43बी(एच) को अव्यवहारिक बताते हुए केंद्र सरकार से इसे तुरन्त प्रभाव से वापिस लेने की मांग की है। अध्यक्ष तरसेम गुप्ता ने कहा कि पूर्व में भी अनेकों बार जिला कलेक्टर के माध्यम से केंद्रीय वित्त मंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर आयकर की नई धारा 43बी(एच) को वापिस लेने की मांग की थी, क्योंकि इस धारा के कारण व्यापारी वर्ग में भारी असंतोष है। 

दिनांक 1 अप्रैल, 2024 से लागू की गई इस धारा से व्यापारियों की परेशानियां बढ़ी है। उद्योगों और व्यापारियों के मध्य आपसी सम्बन्ध खराब हो रहे हैं। इस धारा के कारण उद्योगपति तथा व्यापारी सभी परेशान हैं। अभी तक सरकार के किसी विभाग द्वारा व्यापारियों को इस धारा की उपयोगिता के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। आयकर की नई धारा 43बी(एच) के दूरगामी दुष्परिणाम होंगे।

अध्यक्ष तरसेम गुप्ता ने कहा कि व्यापार दो व्यापारियों के मध्य आपसी सहमति, तालमेल व विश्वास पर आधारित होता है। केन्द्र सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में अनावश्यक अतार्किक नियम नहीं बनाये जाने चाहिए। निश्चित समय अवधि में भुगतान न किये जाने पर रिजर्व बैंक द्वारा निश्चित ब्याज दर से तीन गुणा ब्याज देना व्यापारी के लिए असम्भव तथा अन्यायोचित है। सरकार के इस गलत निर्णय से मार्च के महीने में व्यापार पूर्णतः ठप्प हो गया, 
जिसका सबसे ज्यादा नुकसान उद्योगों का हुआ, व्यापारियों के लिए बनाए गए नियमों में व्यापारियों की सहमति होनी चाहिए।

संयुक्त व्यापार मण्डल, श्रीगंगानगर ने उपरोक्त विकट परिस्थतियों के मध्यनजर केन्द्र सरकार से मांग की है कि देशभर में व्यापारियों के मन में आयकर की नई धारा 43बी(एच) के प्रति भारी आक्रोश को देखते हुए आयकर की नई धारा 43बी(एच) को तुरन्त प्रभाव से वापिस लेकर देशभर के व्यापारियों को राहत प्रदान की जाए।

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