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हिन्दुत्व की शान, धर्म की साक्षात मूरत संत श्री आशाराम जी बापू का 88वां अवतरण दिवस उत्साहपूर्वक मनाया गया

बापू का संकल्प है भारत विश्व गुरु के पद पर आएगा
धर्मराज मंत्र, स्वास्थ्य मंत्र, महामृत्युंजय मंत्रों का हवन कर बापूजी की दीर्घायु व उत्तम स्वास्थ्य की कामना की गई



श्रीगंगानगर: हिन्दुत्व की शान, धर्म की साक्षात मूरत संत श्री आशाराम जी बापू का 88वां अवतरण दिवस साधकों द्वारा 88 दीपों के प्रज्वलन के साथ भारी उत्साह भरे भव्य वातावरण में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। तीन दिवसीय महोत्सव के तहत 27 अप्रैल, शनिवार को प्रात: 9 बजे से शुरू हुए 51 घंटे के अखण्ड श्री आशारामायण जी के पाठ की पूर्णाहुति 29 अप्रैल, सोमवार मध्याह्न हुई।




मानव उत्थान ट्रस्ट एवं श्री योग वेदांत सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में 1 जैड स्थित संत श्री आशाराम जी बापू आश्रम, श्री कृष्ण गौशाला में हुए कार्यक्रम में सर्वप्रथम सोमवार प्रात: हवन किया गया। धर्मराज मंत्र, स्वास्थ्य मंत्र, महामृत्युंजय मंत्रों का हवन कर बापू जी की दीर्घायु व उत्तम स्वास्थ्य की कामना की गई। बापू जी की वयोवृद्ध शिष्या, राज्य की प्रख्यात साहित्यविद् श्रीमती नीलप्रभा भारद्वाज एवं निर्मला शर्मा ने दीप प्रज्वलन कर महोत्सव की शुरुआत की। भक्तों ने पूज्यश्री के पावन चरण पादुका का स्वागत घंटा, शंख, धूप, दीप, पुष्प और वर्षा के साथ किया। तत्पश्चात् वैदिक श्लोकों के साथ पादुका जी का स्तुति वंदन व पूजन किया गया। सत्संग, भजन, कीर्तन, आरती और गुरु प्रसाद का आयोजन हुआ।

इस मौके पर साधकों ने सुप्रचार (अच्छे आचरण) का संदेश जनमानस में फैलाया, जिसमें करुणा, परदुखकातरता, प्राणीमात्र सेवा आदि उच्च कोटि के जीवन मूल्यों को प्रचारित किया गया। समारोह में एकता, प्रेम और भक्ति की भावना थी, जिसमें बड़ी संख्या में साधक संत श्री आसाराम जी बापू की आध्यात्मिक विरासत को नमन करने के लिए एकत्र हुए।


अवतरण दिवस पर विशेष रूप से समर्पित किए गए भजन ‘बापू जी जिनका जीवन दर्शन कराता है, क्या धर्म है क्या त्याग, जिनकी वाणी है वेदांत का दर्पण, संस्कृति के प्राण, राष्ट्र का सम्मान, हम सबका अभिमान है बापू, मातृभूमि की शान है बापू...’ पर साधकों ने नाच-गाकर, झूमकर भरपूर आनंद प्राप्त किया। इस मौके पर भक्ति, सेवा, गुरु के प्रति समर्पण, साधकों के अनुशासनात्मक संगठन व सेवा भाव का अनूठा अलौकिक दृश्य देखने को मिला। इस अवसर पर भारी संख्या में महिला-पुरुष साधक उपस्थित थे।


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