8अप्रैल 1929 की याद में बहरों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज़ की ज़रूरत होती है।
भगत सिंह और उनके साथियों ने आज़ादी की लड़ाई को क्रांतिकारी मोड़ देने का दिन 8 अप्रैल 1929 है ।आज के दिन भगत सिंह ने अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन की स्पष्ट दिशा तय करते हुए कानून को बदलना ही एकमात्र तरीका तय करते हुए असेंबली में बम फेंका । इस बैंक को फेंकने के पीछे उनका तर्क था कि देश की जनता को अगर सुखी बनाना है,आर्थिक संसाधनों का उपयोग हर एक नागरिक के लिए किया जाना है तो उसका एकमात्र साधन कानून बनाकर ही किया जा सकता है
इस दिन देश की सांसद में दो कानून पारित किए जा रहे थे । उन कानूनों में एक का नाम सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक (पब्लिक सेफ्टी बिल)तथा दूसरा औद्योगिक विवाद विधायक (ट्रेड डिस्प्यूट बिल )तथा इसके साथ ही अखबारों द्वारा राजद्रोह रोकने का कानून प्रेस सेडिएशन एक्ट को कसने की धमकी दी जा रही थी।
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भगत सिंह और उनके साथियों ने यह अच्छी तरह से समझ लिया था कि देश में आने वाले समय में श्रमिक तथा कर्मचारियों के शोषण का शोषण संसद द्वारा बनकर ही किया जा सकता है ।
इसलिए उसे कानून में प्रावधान यह था कि अगर प्रबंधको और श्रमिकों के बीच कोई विवाद हो जाए तो प्रबंधको की बात को ही माना जाएगा ।इसलिए उन्होंने इस बात की गंभीरता को समझते हुए यह निर्णय किया कि अगर यह कानून पारित हो जाएगा तो भविष्य में श्रमिक और कर्मचारी अपनी आवाज नहीं उठा पाएंगे और उनका शोषण इसी प्रकार से जारी रहेगा ।इसलिए उन्होंने निर्णय किया कि भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करते हुए चेतावनी रूप में इस प्रकार के कानून रोके जाने चाहिए ।क्योंकि अगर यह कानून बना दिए गए तो श्रमिकों और कर्मचारियों की आवाज को उठाने वाला कोई नहीं होगा । जनता की आवाज को बहरे कानों को सुनाने के लिए उन्होंने इस तरीके को अपनाया ।
इसलिए उसे कानून में प्रावधान यह था कि अगर प्रबंधको और श्रमिकों के बीच कोई विवाद हो जाए तो प्रबंधको की बात को ही माना जाएगा ।इसलिए उन्होंने इस बात की गंभीरता को समझते हुए यह निर्णय किया कि अगर यह कानून पारित हो जाएगा तो भविष्य में श्रमिक और कर्मचारी अपनी आवाज नहीं उठा पाएंगे और उनका शोषण इसी प्रकार से जारी रहेगा ।इसलिए उन्होंने निर्णय किया कि भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करते हुए चेतावनी रूप में इस प्रकार के कानून रोके जाने चाहिए ।क्योंकि अगर यह कानून बना दिए गए तो श्रमिकों और कर्मचारियों की आवाज को उठाने वाला कोई नहीं होगा । जनता की आवाज को बहरे कानों को सुनाने के लिए उन्होंने इस तरीके को अपनाया ।
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उन्होंने वहां जो पर्चा फेंका उसमें भी उन्होंने लिखा कि हम मनुष्य के रक्त को बहाने में के पक्ष में नहीं है ।इसलिए उन्होंने उसे बम में कोई छर्रा भी नहीं डाला और उस बम को फेंकने से कोई हताहत भी नहीं हुआ। उन्होंने भारतीय जनता की आवाज को बुलंद किया तथा इसके बाद अपने पूर्व निर्णय के अनुसार वहीं गिरफ्तारी दी ।इसके पीछे भी यही कारण था कि भगत सिंह अपनी बात को तर्क पूर्ण अदालत के मंच से उठाएंगे और पूरी दुनिया में अपनी बात को पहुंचा सकेंगे । यह बता सकें कि किस प्रकार से भारतीय जनता का शोषण किया जा रहा है और आर्थिक तौर पर देश की लूट की जा रही है।
देश में गरीबी ,बेरोजगारी, भुखमरी ,असमानता ,शोषण का जो बोलबाला है उसको मिटाने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था समाजवादी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए तथा देश की युवा पीढ़ी इसकी तैयारी में लगी हुई है ।इसलिए चेतावनी के रूप में यह बम विस्फोट किया गया।
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