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अखिल भारतीय साहित्य परिषद् द्वारा ‘भारतीय नववर्ष की वैज्ञानिकता और कालगणना का महत्व’ पर हुआ व्याख्यान


श्रीगंगानगर, 10 अप्रैल 2024: अखिल भारतीय साहित्य परिषद् राजस्थान जिला इकाई श्रीगंगानगर द्वारा भारतीय नववर्ष 2081 को उत्सव के रूप में मनाते हुए व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। स्थानीय तपोवन प्रन्यास में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघ चालक अमरचंद बोरड़, विशिष्ट अतिथि उदयपाल झाझडिय़ा तथा मुख्य वक्ता सह आचार्य डॉ. गोपीराम शर्मा, सारस्वत वक्ता ब्रह्मचारी मुकुन्द शास्त्री रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व पीएमओ डॉ. ओपी गोयल ने की।

‘भारतीय नववर्ष की वैज्ञानिकता और कालगणना का महत्व’ विषय का प्रतिपादन करते हुए मुख्य वक्ता डॉ. गोपीराम शर्मा ने कहा भारतीय नववर्ष का प्रारंभ तब होता है, जब प्रकृति में नव अंगड़ाई छाई होती है, नव कोंपल, नवांकुर से लकदक प्रकृति, फसलें कट कर तैयार हो रही होती है। मौसम सम होता है, तभी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की भोर की प्रथम रश्मि से नववर्ष का प्रारंभ होता है। ऐसा नहीं कि भयंकर शीत में, आधी रात में, प्रकृति की प्रतिकूलता में ईसाई वर्ष की तरह प्रारंभ हो। दिनों के नाम, महीनों के नाम किसी आधार पर हैं। सूर्य और चन्द्र की गति से काल गणना की जाती है। सृष्टि के प्रारंभ से अंत तक की गणनाएं हमने बिल्कुल सटीक कर रखी हैं।

सारस्वत वक्ता धर्मसंघ संस्कृत महाविद्यालय श्रीगंगानगर के ब्रह्मचारी बाल मुकुंद महाराज ने वैदिक साहित्य और शास्त्रों से काल गणना की उत्पत्ति, विकास और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सूर्य काल के देवता हैं। नक्षत्रों एवं राशियों के अनुसार ही आदित्य होते हैं। इन्हीं आधारों पर महीनों के नाम तय किए गए हैं। दिन ग्रहों के नाम पर और क्रम ग्रहों की गति के अनुसार तय है। इसके साथ उन्होंने कहा कि विज्ञान हम से है हम विज्ञान से नहीं हैं।

मुख्य अतिथि अमरचंद बोरड़ ने कहा कि हम लोग धीरे-धीरे अपनी चीजों को भुला बैठे हैं। यहां तक कि राजस्थान दिवस भारतीय नववर्ष अर्थात् चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर तय हुआ, जो बाद में अंग्रेजी तिथि अर्थात् 30 मार्च पर स्थिर होकर रह गया। वर्तमान समय में भारतीय मानस करवट ले रहा है और हाल के वर्षों में अंग्रेजी नववर्ष का मनाना तो कॉमेडी-सा होकर रह गया है।

कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. ओ.पी. गोयल ने ऐसे कार्यक्रम करने पर इकाई को बधाई दी। सभी पधारे नागरिकों को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं।

इससे पूर्व कार्यक्रम का प्रारंभ मां वाग्देवी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। घनश्याम बिनाणी द्वारा सरस्वती की वन्दना की गई। इकाई के महासचिव मनीराम सेतिया ने इकाई की गतिविधियों का वार्षिक वृत्त प्रस्तुत किया तथा ‘परिषद् गीत’ का गायन किया।
परिषद् के विभाग संयोजक प्रो. बलवंत सिंह चौहान ने कार्यक्रम की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और सभी पधारे अभ्यागतों का धन्यवाद दिया।

मंच संचालन करते हुए जिला इकाई के अध्यक्ष डॉ. रामनारायण शर्मा ने कहा कि हम अपने नववर्ष प्रारंभ शक्ति को नमस्कार कर शक्तिमान की आराधना से किया करते हैं अर्थात् नवरात्रों में दुर्गा की पूजा से शुरू होकर रामनवमी के त्योहार के मध्य ही नववर्ष का अभ्युदय होता है। डॉ. रामनारायण शर्मा ने रामचरितमानस की चौपाइयों की व्याख्या कर धर्म की विवेचना करते हुए सुंदर मंच संचालन प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर विभाग संयोजक प्रो बलवंत सिंह चौहान को प्राचार्य बनने पर, सुरेंद्र कुमार को शैक्षिक सेवाओं के लिए तथा घनश्याम बिनाणी को सामाजिक सेवाओं के लिए अंगवस्त्र से और माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया।
इस कार्यक्रम में शहर के प्रबुद्ध जन, मातृशक्ति, साहित्यकार, शिक्षक, व्यवसायी, गणमान्य नागरिक आदि बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।





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