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गंगनहर में नहरबंदी के दौरान करवाए गए कार्यों में हुए भ्रष्टाचार की जांच एसओजी से करवाने की मांग

दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करने के साथ-साथ राजकोष को पहुंचाए गए आर्थिक नुकसान की भरपाई भी दोषियों से की जाए : एडवोकेट प्रताप सिंह शेखावत  

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श्रीगंगानगर, 23 अप्रैल 2024: गंगनहर में विभाग द्वारा नहरबंदी लेकर नहरबंदी के दौरान करवाये गए निर्माण, सफाई व अन्य किये गये कार्यों में हुए भ्रष्टाचार की जांच एस.ओ.जी. से करवाकर दोषियो के विरूद्ध कार्यवाही करने तथा विभाग को पहुंचाए गए आर्थिक नुकसान की भरपाई करने की मांग मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार को ज्ञापन भेजकर प्रताप सिंह शेखावत एडवोकेट ने की है।

प्रताप सिंह शेखावत एडवोकेट ने कहा कि हर वर्ष श्रीगंगानगर जिले की जीवनदायिनी गंगनहर की नहरबंदी लेकर सिंचाई विभाग द्वारा गंगनहर में तथा विभिन्न हेडों पर साफ सफाई, निर्माण, नहरों के बेड की सफाई आदि का कार्य किया जाता है। जल संसाधन वृत्त, श्रीगंगानगर की अकर्मण्यता व राज्य हित के प्रति उदासीनता की वजह से माह मार्च-अप्रेल, 2023 तथा माह मार्च-अप्रेल, 2024 में राज्य सरकार द्वारा सिंचाई विभाग के अधिकारियों को उनके पदानुरूप प्रदत्त शक्तियों को मौखिक रूप से गिरवी रखते हुए गंग कैनाल परियोजना प्रबन्धक को अधिकृत कर दिया, जबकि राजस्थान सिंचाई प्रणाली प्रबंधन में कृषकों की सहभागिता अधिनियम-2000 के नियम 46(4) के तहत गंग कैनाल मुख्य नहर व बीकानेर कैनाल के सम्बन्ध में समस्त अधिकार जल संसाधन विभाग के पास सुरक्षित है। लिहाजा गंगनहर परियोजना प्रबन्धक द्वारा बीकानेर कैनाल से शिवपुर हैड तक व गंग कैनाल शिवपुर हैड से डाबला हेड तक की करीब 90 किलोमीटर लम्बाई में मुख्य नहर के तल में, पानी के साथ बहकर साथ आई जमा सिल्ट बरैती की नीलामी अपने स्तर से समाचार-पत्रों में प्रकाशित करवाई जाकर, उनके द्वारा खुद ही बोली प्रक्रिया को सम्पन्न करवाया गया तथा बोली प्रक्रिया के उपरान्त एकत्रित जमा धनराशि खजाना राज में भी जमा नहीं करवाई गई। 

जबकि बतौर जनप्रतिनिधि उन्हें कानूनी तौर पर ऐसा कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। इसके बाद मुख्य नहर में कचरा सफाई, साईडों की सफाई, रेगुलेशन गेट्स की मरम्मत वगैरा-वगैरा के नाम से, बोली से एकत्रित धनराशि को व्यय करने का प्रचार किया गया, जिसमें विभाग ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया तथा मौन मूक रहकर तकनीकी दृष्टि से जांच निरीक्षण तक नहीं किया गया।

प्रताप सिंह शेखावत ने कहा कि पुख्ता रिपोर्ट पर उनकी टीम के द्वारा मौका मुआयना करने पर सामने आया कि मुख्य नहर में शिवपुर हैड से डाबला हैड तक कूड़ा, कचरा भारी मात्रा में व जंगल झाड़-झंखाड़ मंगलवार को पानी पहुंचने से तुरन्त पहले तक बदस्तूर जमा है तथा नहर के हालात बहुत खराब है। नहरबंदी के दौरान विकास कार्यों व सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट जिस कार्य हेतु खर्च किया जाता है। वे कार्य आंशिक रूप से करवाकर सम्पूर्ण कार्य किये बिना ही विभाग के अधिकारियों/ठेकेदार फर्मों, अन्य संगठनों द्वारा आपसी मिलीभगत करके बिना भौतिक सत्यापन के बजट का भुगतान करके भ्रष्टाचार किया गया है। नहर की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये का भवन निर्माण के काम आने वाला रेता निकालकर व उसे विक्रय करके करोड़ों रूपयों को आपस में बांट लिया जाता है। 

गंगनहर में सफाई नहीं होने से कालूवाला हेड, शिवपुर हैड आदि के आसपास की नहरों का कचरा नहरों में ही पड़ा रहा। इस कारण बिना सफाई के ही नहरो में पानी शुरू करवाने के कारण नहरों में पानी प्रवाह सही नहीं रहता। प्रताप सिंह शेखावत ने पुरजोर शब्दों में मुख्यमंत्री से मांग की है कि गंगनहर में हुए भ्रष्टाचार की जांच एस.ओ.जी. की विशेष टीम गठित करके करवाई जाकर दोषियों से राजकोष को पहुंचाए गए नुकसान की भरपाई की जाए, जिससे विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके।

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