विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन दर्शन पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए। हरपाल सिंह ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर दलितों के मसीहा थे, जिन्होंने दलितों, शोषित वर्ग व महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया। अशोक किंगर ने कहा कि बाबा साहेब भीमराव बचपन से ही मेधावी व प्रतिभाशाली थे, जिन्होंने कई डॉक्टरेट डिग्रियों सहित कुल 32 डिगियां हासिल की।
मंच संचालन करते हुए मनीराम सेतिया ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर महान समाज सुधारक थे, जिन्होंने ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो तथा संघर्ष करो’ के तीन सूत्रों द्वारा दलित समाज के सर्वांगीण उत्थान के लिए प्रयास किये। एडवोकेट राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि उन्हें संविधान निर्माता भी कहा जाता है। डॉ भीमराव अम्बेडकर ने 8 सूचियों तथा 315 धाराओं वाला स्वतंत्र भारत का संविधान तैयार किया।
अध्यक्ष जगीरचंद फरमा ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को महान व्यक्तित्व का धनी बताते हुए कहा कि उन्होंने छुआछुत, जातिवाद व नारी शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। ऐसे महान राष्ट्रभक्त को हम सभी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस अवसर पर सन्तलाल धानका, कृष्ण जाटव, साहिल मेघवाल, राजकुमार, देवीलाल परिहार सहित हिन्दी प्रचार समिति पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।
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