इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम कन्याओं को तिलक व चावल लगाकर उनकी पूजा की गई एवं कन्याओं की शिक्षा में योगदान देते हुए स्टेशनरी, नोटबुक, पेंसिल किट इत्यादि सामग्री वितरित की गई तथा खाद्य सामग्री भी भेंट की गई। इसके साथ-साथ श्रद्धापूर्वक दक्षिणा देकर कन्याओं का आशीर्वाद प्राप्त किया गया तथा ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान’ में बढ़-चढक़र योगदान देने का संकल्प लिया गया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में सभी सदस्यों का सराहनीय सहयोग रहा। इस अवसर पर अध्यक्ष एडवोकेट मोनिका अग्रवाल, सचिव पलक बंसल, कोषाध्यक्ष शर्मिला माहेश्वरी, पूर्व अध्यक्ष सरोज घोड़ेला, शिप्रा, बबीता लखोटिया, ममता बगडिय़ा, रजनी, स्नेहा, प्रेक्षा बोरड़ सहित मारवाड़ी युवा मंच नारी चेतना शाखा, श्रीगंगानगर पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।
कन्या पूजन
कन्या पूजन का महत्व
जो भी भक्त विधि-विधान से माता की पूजा आराधना करते हैं और कुमारी कन्याओं का पूजन करते हैं उन्हें माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कन्या पूजन करने से माता की कृपा आप पर बनी रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि रहती है। ऐसा करना आपके धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान को भी बढ़ाता है।
कन्या पूजन भारतीय समाज में महत्वपूर्ण परंपरा है जो नवरात्रि के दौरान मनाई जाती है। यह पर्व नवरात्रि के पारंपरिक अंत में, जब नवदुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, आयोजित की जाती है। इस पूजा में नौ या तीन कन्याओं को विशेष रूप से भोजन और उपहारों के साथ सम्मानित किया जाता है।
कन्या पूजन का महत्व धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से होता है। धार्मिक रूप से, कन्या पूजन माँ दुर्गा के आवागमन का समय है और कन्याओं को देवी के रूप में पूजा जाता है। समाज में, यह पूजा कन्याओं को सम्मान और मान्यता प्रदान करती है, उनके प्रति श्रद्धा और समर्पण की भावना को प्रकट करती है। सांस्कृतिक रूप से, इस पर्व कन्याओं के जीवन के महत्वपूर्ण चरण को संज्ञान में लेता है और उन्हें समाज की संरचना में स्थान देता है।
कन्या पूजन का उद्देश्य न केवल देवी दुर्गा को प्रसन्न करना है, बल्कि समाज में महिलाओं के महत्व को साबित करना भी है। इसके माध्यम से, महिलाओं को सम्मानित किया जाता है और उनका समाज में उत्थान होता है।
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