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तीनों संगठनों की ओर से ज्ञापन देकर मांग की गई की राकेश अरोड़ा को तुरंत आयुक्त पद से हटाया जाए और उनके द्वारा आयुक्त की हैसियत से गैरकानूनी तथा अवैध रूप से होटलों को जारी किए नोटिस वापस लिया जाएं। जिला कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि राकेश अरोड़ा लेखाधिकारी हैं। उनको जानबूझकर आयुक्त का अतिरिक्त कार्य भार दिलवाया गया है।
राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा एसबी सिविल रिट (संख्या 2185/ 2021) श्रवणराम बनाम राज्य सरकार तथा अन्य में पारित आदेश +दिनांक 15 फरवरी 21९ के अनुसार नगर पालिका और नगर परिषद में प्रशासनिक अधिकारी के अलावा कार्यरत किसी भी अन्य अधिकारी को आयुक्त का पदभार नहीं सौंपा जा सकता।किन्हीं विशेष परिस्थितियों में भी किसी अन्य अधिकारी को स्थानीय व्यवस्था में दिये गये अतिरिक्त कार्यभार की समय अवधि 15 दिन से अधिक स्वीकार्य नहीं है। ज्ञापन में बताया गया कि राकेश अरोड़ा को आयुक्त का जो अतिरिक्त कार्य भर दिया गया है, उसकी अवधि 11 अक्टूबर को समाप्त हो रही है।
उनके कार्यभार की अवधि को हाईकोर्ट के आदेश के अनुसरण में बढ़ाया नहीं जाए। आयुक्त का कार्यभार किसी सक्षम प्रशासनिक अधिकारी को ही दिया जाए। ज्ञापन में राकेश अरोड़ा पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने बिना किसी सर्वे रिपोर्ट और बिना मौका निरीक्षण किये,सिर्फ राजनीतिक हस्तक्षेप के मध्यनजर अनेक होटलों में फायर एनओसी, व्यवसायिक गतिविधियों तथा अनाधिकृत अतिक्रमण प्रदर्शित कर सिर्फ दो दिन की अवधि में तमाम कागजात नगर परिषद ऑफिस में पेश करने के नोटिस चस्पां करवा दिए। यह कार्यवाही कार्यवाहक आयुक्त राकेश अरोड़ा की अनैतिक और दुर्भावनापूर्ण मंशा को प्रदर्शित करती है। इसलिए उनके द्वारा शहर के प्रतिष्ठित व्यापारियों होटल मालिकों के खिलाफ राजनीतिक क्षेत्र पर की जा रही द्वेषपूर्ण कार्यवाही को अति शीघ्र रोका जाए। जिला कलेक्टर को प्रतिनिधि मंडल ने अवगत करवाया कि शहर में 40-40 वर्ष से चल रहे होटल को नगर परिषद ने नोटिस दिए हैं जो कि बिल्कुल अवैध है।
कुछ होटल वाले रिनोवेशन करवा रहे हैं। उनके द्वारा नया निर्माण नहीं करवाया जा रहा हैप्रतिनिधिमंडल ने बताया कि जिला कलेक्टर ने उचित कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है कि होटलों को नोटिस जारी किए जाने जांच करवाई जाएगी। प्रतिनिधि मंडल में कांग्रेस के संगठन महामंत्री श्याम शेखावटी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष भीमराज डाबी, इंजीनियर मोहनलाल बंसल, शंकर असवाल, अमित छाबडा, हरीश अरोड़ा काकू, संयुक्त व्यापार मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन बतरा और आरटीआई कार्यकर्ता राधेश्याम गोयल आदि शामिल रहे।
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