मंगलवार का दिन आज नक्षत्र ज्येष्ठा के उपरांत मूल और आयुष्मान योगउसकेबादसौभाग्य योग,करण बालव के बाद कौलव के बाद तैतिलअर्थात पहले चीते के बाद सूअर के स्वभाव कीतरह आज दिन रात का स्वभाव रहेगा, ब्रह्म मुहूर्त प्रातः04:49 से 5:37 तक सूर्योदय प्रातः 6:25सूर्यास्त साय 6:03चन्द्रोदय सुबह11:03 चन्द्रास्त रात9:40 तक होगा,शुभ अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:51 से 12:37तकराहुकाल दोपहर3:08 से 4:36 तक है, चन्द्रमा वृश्चिक उपरांत धनु राशि पर संचार करेगा, आज अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि शुरू हे,
नवरात्रि के छठे दिन की देवी मां कात्यायनी है। ये देवी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। इसलिए इनका नामकात्यायनी हुआ था इनकी चार भुजाएं हैं। इनका वाहन शेर है। इनका रूप बहुत ही सौम्य है,देवी कात्यायनी की पूजा से जीवन का हर दुख दूर हो जाता है। इनकी पूजा से रोग, शोक, डर दूर हो जाते हैं।
इनकी पूजा अराधना करने से उन्हें जगत जननी की कृपा से सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है और रोग, संकट संताप, भय आदि का नाश करने वाली देवी मानी जाती हैं,माता कात्यायनी की पूजा प्रदोषकाल अर्थात गोधूली बेला में करना श्रेष्ठ माना गया है.देवी कात्यायनी को शहद युक्त पान का भोग लगाएं.देवी कात्यायनी को लाल चुनरी, कुमकुम, लाल फूल, लाल चूड़ी आदि चीजें चढ़ाई जाती हे और इन्हे शहद का भोग लगाया जाता हे
डा ब्रह्म भाटिया हस्तरेखा- एस्ट्रो विशेषज्ञ, 9414220573
आज 8 अक्टूबर 2024 को आश्विन माह के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि सुबह 11:18 तक उसके उपरांत षष्ठी शुरू होगी
मंगलवार का दिन आज नक्षत्र ज्येष्ठा के उपरांत मूल और आयुष्मान योगउसकेबादसौभाग्य योग,करण बालव के बाद कौलव के बाद तैतिलअर्थात पहले चीते के बाद सूअर के स्वभाव कीतरह आज दिन रात का स्वभाव रहेगा, ब्रह्म मुहूर्त प्रातः04:49 से 5:37 तक सूर्योदय प्रातः 6:25सूर्यास्त साय 6:03चन्द्रोदय सुबह11:03 चन्द्रास्त रात9:40 तक होगा,शुभ अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:51 से 12:37तकराहुकाल दोपहर3:08 से 4:36 तक है, चन्द्रमा वृश्चिक उपरांत धनु राशि पर संचार करेगा, आज अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि शुरू हे,
नवरात्रि के छठे दिन की देवी मां कात्यायनी है। ये देवी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। इसलिए इनका नामकात्यायनी हुआ था इनकी चार भुजाएं हैं। इनका वाहन शेर है। इनका रूप बहुत ही सौम्य है,देवी कात्यायनी की पूजा से जीवन का हर दुख दूर हो जाता है। इनकी पूजा से रोग, शोक, डर दूर हो जाते हैं।
इनकी पूजा अराधना करने से उन्हें जगत जननी की कृपा से सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है और रोग, संकट संताप, भय आदि का नाश करने वाली देवी मानी जाती हैं,माता कात्यायनी की पूजा प्रदोषकाल अर्थात गोधूली बेला में करना श्रेष्ठ माना गया है.देवी कात्यायनी को शहद युक्त पान का भोग लगाएं.देवी कात्यायनी को लाल चुनरी, कुमकुम, लाल फूल, लाल चूड़ी आदि चीजें चढ़ाई जाती हे और इन्हे शहद का भोग लगाया जाता हे
डा ब्रह्म भाटिया हस्तरेखा- एस्ट्रो विशेषज्ञ, 9414220573
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